गुरुवार, 1 जनवरी 2009

सर्वोच्च अनुभूति

अनुभूतियों की बात कितनी भी करें...

परन्तु जब बछडा दौड़ कर अपनी माँ के थन से दूध पीने लगता है, तो उसे क्या अनुभूति होती है ?

जब गौरैया का छोटा सा बच्चा अपनी माँ के डैनों में दुबक कर अपने को सुरक्षित महसूस करने लग जाता है, तो उसे क्या अनुभूति होती है ?

और जब शिष्य गुरु चरणों में पहुँच कर अपने आप में आत्म-विभोर हो जाता है, तो उसे क्या अनुभूति होती है?

क्या इसे शब्दों में बांधा जा सकता है?

क्या इसे किसी मापदण्ड पर नापना संभव है?

जिसने गुरु प्रेम में अपने को रंग लिया, उसे इससे बड़ी अनुभूती और कौन सी चाहिए?

गुरुदेव की एक प्यार भरी नजर के सामने सभी अनुभूतियां बौनी है, क्योंकि सदगुरु की एक नजर के लिए तो देवता भी तरसते हैं। यही सर्वोच्च अनुभूति है।

मेरे सदगुरुदेव निखिल तो वह शक्ति है, जो मुझे निरन्तर शाश्वत रूप से चेतना देते रहते हैं, जो अपने शांत स्वरूप के अनुरूप शांति प्रदान करते हैं। जो आकाश से भी परे हैं, अर्थात किसी लोक में स्थित न होकर के अपने शिष्यों के ह्रदय में स्थित है, जिन्हें किसी बिन्दु द्वारा, किसी कला द्वारा व्यक्त नहीं किया जा सकता क्योंकि उनका स्वरुप तो शिष्यों के तेज के में व्याप्त है। ऐसे ही प्रिय सदगुरुदेव मेरे निखिल हैं।

जो परम तत्व को बोध करने वाले हैं, जिनके जीवन में आने से अंधकार, आर्ट, विषाद समाप्त हो जाते हैं, और मन में परम तत्व का परमानन्द जाता है और जो हर समय यही कहते हैं -

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णं मेवाव शिष्यते ॥


अर्थात जो स्वयं तो पूर्ण हैं ही, अपने शिष्य को भी पूर्णता प्रदान करते हुए उसे सम्पूर्ण अर्थात पूर्णतायुक्त व्यक्ति बनाते है, जो शिष्य रुपी श्रेष्ठ रचना का निर्माण करते हैं, वे ही तो मेरे प्रिय सदगुरुदेव निखिल हैं, जिनके बारे में केवल इतना ही कहा जा सकता है -

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुच्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्व मम देव देव ॥


3 टिप्‍पणियां:

  1. आपको एवं आपके परिवार को नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाऐं.


    समीर लाल

    उड़न तश्तरी

    http://udantashtari.blogspot.com/

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  2. bahut hi sahi likha hai--har anubhuti ko abhivyakt nahin kiya ja sakta...aap ka blog achcha laga..

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  3. Sarv pratham aap sabhi ko holi ki subh kamnayen,
    Anubhuti ki aapne bahut hi sunder dhang se vyakhya kar dee jo ki bahut sarahniya hai, padne matra se hame anubhuti mahsus hoti hai per abhivyakt karna kathin hai.

    Ramesh Pandey
    ramesh_pandey108@yahoo.co.in

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