केवल व्यापारी ही नहीं, सामान्य वर्ग भी राज्यपक्ष से विवाद में फंसना नहीं चाहता क्योंकि सामान्य व्यक्ति के पास इतने साधन नहीं होते, जिससे वह पुरे राजतंत्र और उसकी जटिलताओं से बच कर निकल सके। ऐसे में क्या उपाय शेष रह जाता है? क्या व्यक्ति ऐसे ही विभिन्न कार्यालयों के चक्कर काटता रहे और अपने जीवन के सुख-चैन, शांति के क्षण दिन-दिन भर कोर्ट कचहरी के जटिल और उबाऊ कार्य पद्धति में खपा दे? क्या वह एक सामान्य से कार्य के लिए अधिकारियों के दरवाजे पर नाक घिसता रहे और अपने स्वाभिमान व आत्मसम्मान को गिरवी रख दे? निश्चित रूप से नहीं। ऐसी दशा में तो एक ही प्रयोग शेष रह जाता है, की वह अपने जीवन में पूर्णता से राज्यलक्ष्मी की साधना सम्पन्न करे। इस लेख में दिए गए अन्य प्रयोगों की भांति यह भी तांत्रोक्त प्रयोग है।
जीवन में व्याप्त ऐसी प्रत्येक कटु व अपमानजनक स्थितियों के निवारण की व्यावहारिक विधि है। निवारण का तात्पर्य यह नहीं होता हम किसी का विनाश कर देंगे, अपितु यह होता है कि दुर्भाग्यवश जो हमारे जीवन में प्रतिकूल स्थिति है वह समाप्त हो, तथा अनुकूलता प्रारम्भ हो। राज्यलक्ष्मी प्रयोग ऐसा ही प्रयोग है, राज्य पक्ष में मधुरता व सहजता की स्थिति निर्मित करने का प्रयोग है।
साधक के लिए आवश्यक है कि वे पूर्ण रूप से सिद्ध लक्ष्मी लघु शंख प्राप्त करें और उसे पूरी तरह से काजल में रंग दे तथा मूंगे की माला द्वारा निम्न मंत्र का पांच माला मंत्र जप करें।
यह प्रयोग मंगलवार के दिन ही किया जा सकता है। मंत्र जप की समाप्ति पर साधक मूंगे की माला को स्वयं धारण करें तथा शंख को काले कपड़े में लपेट कर जेब अथवा बैग में रखें जिस पर किसी कि नजर न पड़े।
मंत्र
॥ ॐ श्रीं श्रीं राज्यलक्ष्म्यै नमः ॥
जब भी आवश्यकता हो, तब उपरोक्त शंख को वार्तालाप करते समय अपने साथ ले जाएं और आप पाएंगे कि स्थितियां आपके अनुकूल हो रही हैं। अनावश्यक रूप से लगने वाली बाधाएं और अड़चनें समाप्त हो रही हैं तथा आपके प्रति सहयोग का वातावरण बनने लगा है। सामान्य साधक भी ऐसे शंख को अपने साथ रखकर जिस दिन मुकदमों में पेशी हो या कहीं अन्य कोई महत्वपूर्ण कार्य हो तो इसका प्रभाव प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं।
-मंत्र-तंत्र-यंत्र पत्रिका, फरवरी २००८
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