मैंने तो नब्बे साल के लोगों को भी मुस्कुराते हुए, खिलखिलाते और ज्ञान प्राप्त करते हुए देखा है। जब इंग्लैंड पर जर्मनी ने बमबारी की और सारा ध्वस्त कर दिया तो ८२ साल के चर्चिल ने पुरे इंग्लैंड को संभाला, प्रधान मंत्री बन कर के वापस अपने देश को खड़ा कर दिया, ताकतवान बनाकर के। ७२ साल कि उम्र मे! अब आप पता नही ८२ साल की उम्र ले भी पाएंगे या नहीं ले पाएंगे।
तो क्या गुरुजी हम ८२ साल की उम्र ले ही नहीं पाएंगे? क्या चर्चिल ही ले पायेगा?
आप नब्बे साल नही ८२ सौ साल भी ले सकते, आप ले सकते हैं यदि आपके पास वह विद्या हो। यदि आपके पास ज्ञान हो कि मैं कायाकल्प कैसे करूं तो वह चीज आपको प्राप्त हो सकेगी। आपके पास एक भी विद्या रह पायेगी तो आने वाली हजारों पीढियां आपसे शिक्षा ग्रहन कर पाएंगी। आप सही अर्थों मे ग्रंथ बन पाएंगे, सही अर्थों मे सबसे ज्यादा प्रिय मुझे बन पाएंगे। तब मैं गर्व करुंगा कि आप मेरे शिष्य हैं।
मैं तो आपको चैलेंज देता हूँ, मैं दो टुक साफ कहता हूँ। मुझसे भी बडे विद्वान होंगे, मगर आप बाजार से जाकर कोई ग्रंथ लाइए। आप लाइए और मैं बीस किताबें और रख देता हूँ देखिए। इन सबमें चीजें ज्यों कि त्यों हैं, कुछ लाईने, इधर कर दी और कुछ लाईने उधर कर दी है और पोथी भरकर आपके सामने रख दी है। वही चीज हरेक में है चाहे मंत्र महोदधि लाईए, चाहे मन्त्र महार्णव लाईए, चाहे मंत्र सिंधु लाईए। मंत्र चिन्तन लाईये, मंत्र धटक लाईए। वे ग्रंथ तो मंत्रों पर है पर सबमे एक ही चीज हैं। एक ही बात को रिपीट कर दिया है, उनके छः संस्कारण बना दिए हैं।
क्या नवीनता है उनमे? क्या किसी ने कहा है कि सर्प के पास ज्ञान है हमारे पास क्यों नहीं? किसी ने इस पर चिंतन किया ?
और आप कह रहे हैं कि आप बुजदिल हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि आप किस कोने से बुजदिल हैं जिससे कि मैं उस कोने को निकल दूं कि किस कोने से हम कायर हैं, इस कोने से कमजोर हैं तो उस हिस्से को काट दूं और वापिस नए सिरे से आपको तयार कर दूं। आप हैं नहीं कमजोर, आपने मान लिया है। और मानना इसलिये पड़ा है क्योंकि आपके जीवन मे वास्तव मे बाधाएं, अड़चने, कठिनाईयां आई हैं। मगर ये समस्याएं केवल आप पर ही नहीं आई।
ऐसा नहीं है कि कलियुग में ही साधनायें नही हो पा रही हैं। गुरू जीं कलियुग आ गया और कलियुग में साधनायें नही हो पातीं। और सैकड़ों लोग ऐसा कहते हैं कि अब कैसे हो पायेगी चारों तरफ आप देख रहे हैं। मै भी चारों तरफ देख रहा हूँ कि कभी बम विस्फोट हो रहे हैं कभी पंजाब में हो रहे हैं कभी दिल्ली में हो रहे हैं, पुरे भारत वर्ष में हो रहे हैं। यह क्या हो रह हैं, क्यों हो रहा हैं?
इसलिये हो रह हैं कि हम कमजोर हैं। हमने अख़बार पढा, देखा और फिर अखबार को छोड दिया हममें क्षमता नहीं है वह कि हम उसको रोक सकें, और अगर विज्ञान रोक पाता तो फिर ये इतने लड़ाई झगड़े होते ही नहीं, इतने बम नहीं फटते। इसका मतलब इन समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रहा है। अगर कर पाता तो रोज अखबार में ये समस्याएं नहीं आ पाती।
उस चीज को आप लोगों में से अगर कोई एक बार समझ ले तो वह ज्ञान अगले तीन सौ, साल तक रह सकेगा। उस कायाकल्प को करें तो जैसे नविन सर्प निकलता, है तो आप निकल सकते हैं। वह तब हो पायेगा जब बुजदिली आप समाप्त कर देंगे, जब आप ताकतवान बनेंगे, क्षमतावान बनेंगे।
कुचक्र आज ही नहीं रचे गए, लड़ाई-झगड़े आज ही नहीं हो रहे, कलियुग आज ही पैदा नहीं हुआ, वह तो सतयुग में भी यही समस्या थी जिनसे आज तुम जूझ रहे हो। तुम मुझे बार-बार कह रहे हो कि कलियुग मैं कैसे साधनायें संपन्न करेंगे तो मै कह रहा हूँ द्वापर युग मे, त्रेता युग में, कितने षड़यंत्र हुए महलों मे, उस केकैयी के रुप जाल में फंस कर के दशरथ ने जो उनकी निति थी, धर्म था कि सबसे बडे बेटे को राजगद्दी पर बिठाया जाए। उसको भुलाकर उसे जंगल भेज दिया। एक छोटे बेटे को राजगद्दी पर बिठा दिया। यह षड्यंत्र नहीं था क्यां?
और उस केकैयी का षड्यंत्र यह कि राम यहां रहेगा तो फिर लड़ाई-झगड़े होंगे। इसको जंगल मे ही भेज दिया जाये। क्या षड्यंत्र उस समय नहीं होते थे? क्या आज ही होते हैं? क्या उस समय अपहरण नही होते थे ? क्या रावण सीता को नहीं ले गया? क्या द्वापर युग मे लडाईयां नहीं होती थी?
इतनी लडाइयां होती थी कि आज तो होती ही नहीं है। भरी सभा मे बहु को नंगा किया जा रहा है, साडी खींची जा रही है और उसके पांचों पति मुंह निचे लटकाए खडे हैं, उनका दादा भीष्म सिर निचे लटकाए खङा है, यह क्या था?
तो कौन सा युग तुम्हारा द्वापर युग है? राम राज्य कौन सा हो गया? मुझे बता दीजिए कि राम राज्य में कुछ नहीं हुआ वहां लड़ाई झगड़े हुए ही नही, वहां पर कोई किडनैप नहीं हुए। वह उस समय भी होते थे वे षड्यंत्र द्वापर में भी थे, सतयुग मे भी थे। तब भी हुए और कलियुग में भी हो रहे हैं। हो इसलिये रहे हैं कि मनुष्य जब तक बदलेगा नहीं, परिवर्तित नहीं होंगी तब तक ये घटनाएं घटित होंगी।
आपके मन में है कि आज कलियुग में साधनायें सफ़ल नहीं हो सकती मैं तो कहता हूँ कि कलियुग मे फिर भी हो सकती हैं क्योंकि इस समय सड़क पर किसी स्त्री को एकदम से नंगा नहीं कर सकते, एकदम से पचास आदमी लाठी लेकर खडे हो जायेंगे। उस समय तो भरी सभा में सैकड़ों लोगों के बीच मे ऐसा हुआ। कैसे पति थे वो? कैसे पितामह थे? क्या थे वो?
तब जुआ खेला जाता था और अपनी पत्नी को दांव पर लगा दिया जाता था यह तुम्हारा द्वापर युग था। हक़ीकत और इतिहास तो यह है। मगर हम प्रत्येक मृत को स्वर्गवासी कहते हैं, नरकवासी कहते ही नहीं हैं। कहा गए? स्वर्गवासी हो गए।
तो क्या गुरुजी हम ८२ साल की उम्र ले ही नहीं पाएंगे? क्या चर्चिल ही ले पायेगा?
आप नब्बे साल नही ८२ सौ साल भी ले सकते, आप ले सकते हैं यदि आपके पास वह विद्या हो। यदि आपके पास ज्ञान हो कि मैं कायाकल्प कैसे करूं तो वह चीज आपको प्राप्त हो सकेगी। आपके पास एक भी विद्या रह पायेगी तो आने वाली हजारों पीढियां आपसे शिक्षा ग्रहन कर पाएंगी। आप सही अर्थों मे ग्रंथ बन पाएंगे, सही अर्थों मे सबसे ज्यादा प्रिय मुझे बन पाएंगे। तब मैं गर्व करुंगा कि आप मेरे शिष्य हैं।
मैं तो आपको चैलेंज देता हूँ, मैं दो टुक साफ कहता हूँ। मुझसे भी बडे विद्वान होंगे, मगर आप बाजार से जाकर कोई ग्रंथ लाइए। आप लाइए और मैं बीस किताबें और रख देता हूँ देखिए। इन सबमें चीजें ज्यों कि त्यों हैं, कुछ लाईने, इधर कर दी और कुछ लाईने उधर कर दी है और पोथी भरकर आपके सामने रख दी है। वही चीज हरेक में है चाहे मंत्र महोदधि लाईए, चाहे मन्त्र महार्णव लाईए, चाहे मंत्र सिंधु लाईए। मंत्र चिन्तन लाईये, मंत्र धटक लाईए। वे ग्रंथ तो मंत्रों पर है पर सबमे एक ही चीज हैं। एक ही बात को रिपीट कर दिया है, उनके छः संस्कारण बना दिए हैं।
क्या नवीनता है उनमे? क्या किसी ने कहा है कि सर्प के पास ज्ञान है हमारे पास क्यों नहीं? किसी ने इस पर चिंतन किया ?
और आप कह रहे हैं कि आप बुजदिल हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि आप किस कोने से बुजदिल हैं जिससे कि मैं उस कोने को निकल दूं कि किस कोने से हम कायर हैं, इस कोने से कमजोर हैं तो उस हिस्से को काट दूं और वापिस नए सिरे से आपको तयार कर दूं। आप हैं नहीं कमजोर, आपने मान लिया है। और मानना इसलिये पड़ा है क्योंकि आपके जीवन मे वास्तव मे बाधाएं, अड़चने, कठिनाईयां आई हैं। मगर ये समस्याएं केवल आप पर ही नहीं आई।
ऐसा नहीं है कि कलियुग में ही साधनायें नही हो पा रही हैं। गुरू जीं कलियुग आ गया और कलियुग में साधनायें नही हो पातीं। और सैकड़ों लोग ऐसा कहते हैं कि अब कैसे हो पायेगी चारों तरफ आप देख रहे हैं। मै भी चारों तरफ देख रहा हूँ कि कभी बम विस्फोट हो रहे हैं कभी पंजाब में हो रहे हैं कभी दिल्ली में हो रहे हैं, पुरे भारत वर्ष में हो रहे हैं। यह क्या हो रह हैं, क्यों हो रहा हैं?
इसलिये हो रह हैं कि हम कमजोर हैं। हमने अख़बार पढा, देखा और फिर अखबार को छोड दिया हममें क्षमता नहीं है वह कि हम उसको रोक सकें, और अगर विज्ञान रोक पाता तो फिर ये इतने लड़ाई झगड़े होते ही नहीं, इतने बम नहीं फटते। इसका मतलब इन समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रहा है। अगर कर पाता तो रोज अखबार में ये समस्याएं नहीं आ पाती।
उस चीज को आप लोगों में से अगर कोई एक बार समझ ले तो वह ज्ञान अगले तीन सौ, साल तक रह सकेगा। उस कायाकल्प को करें तो जैसे नविन सर्प निकलता, है तो आप निकल सकते हैं। वह तब हो पायेगा जब बुजदिली आप समाप्त कर देंगे, जब आप ताकतवान बनेंगे, क्षमतावान बनेंगे।
कुचक्र आज ही नहीं रचे गए, लड़ाई-झगड़े आज ही नहीं हो रहे, कलियुग आज ही पैदा नहीं हुआ, वह तो सतयुग में भी यही समस्या थी जिनसे आज तुम जूझ रहे हो। तुम मुझे बार-बार कह रहे हो कि कलियुग मैं कैसे साधनायें संपन्न करेंगे तो मै कह रहा हूँ द्वापर युग मे, त्रेता युग में, कितने षड़यंत्र हुए महलों मे, उस केकैयी के रुप जाल में फंस कर के दशरथ ने जो उनकी निति थी, धर्म था कि सबसे बडे बेटे को राजगद्दी पर बिठाया जाए। उसको भुलाकर उसे जंगल भेज दिया। एक छोटे बेटे को राजगद्दी पर बिठा दिया। यह षड्यंत्र नहीं था क्यां?
और उस केकैयी का षड्यंत्र यह कि राम यहां रहेगा तो फिर लड़ाई-झगड़े होंगे। इसको जंगल मे ही भेज दिया जाये। क्या षड्यंत्र उस समय नहीं होते थे? क्या आज ही होते हैं? क्या उस समय अपहरण नही होते थे ? क्या रावण सीता को नहीं ले गया? क्या द्वापर युग मे लडाईयां नहीं होती थी?
इतनी लडाइयां होती थी कि आज तो होती ही नहीं है। भरी सभा मे बहु को नंगा किया जा रहा है, साडी खींची जा रही है और उसके पांचों पति मुंह निचे लटकाए खडे हैं, उनका दादा भीष्म सिर निचे लटकाए खङा है, यह क्या था?
तो कौन सा युग तुम्हारा द्वापर युग है? राम राज्य कौन सा हो गया? मुझे बता दीजिए कि राम राज्य में कुछ नहीं हुआ वहां लड़ाई झगड़े हुए ही नही, वहां पर कोई किडनैप नहीं हुए। वह उस समय भी होते थे वे षड्यंत्र द्वापर में भी थे, सतयुग मे भी थे। तब भी हुए और कलियुग में भी हो रहे हैं। हो इसलिये रहे हैं कि मनुष्य जब तक बदलेगा नहीं, परिवर्तित नहीं होंगी तब तक ये घटनाएं घटित होंगी।
आपके मन में है कि आज कलियुग में साधनायें सफ़ल नहीं हो सकती मैं तो कहता हूँ कि कलियुग मे फिर भी हो सकती हैं क्योंकि इस समय सड़क पर किसी स्त्री को एकदम से नंगा नहीं कर सकते, एकदम से पचास आदमी लाठी लेकर खडे हो जायेंगे। उस समय तो भरी सभा में सैकड़ों लोगों के बीच मे ऐसा हुआ। कैसे पति थे वो? कैसे पितामह थे? क्या थे वो?
तब जुआ खेला जाता था और अपनी पत्नी को दांव पर लगा दिया जाता था यह तुम्हारा द्वापर युग था। हक़ीकत और इतिहास तो यह है। मगर हम प्रत्येक मृत को स्वर्गवासी कहते हैं, नरकवासी कहते ही नहीं हैं। कहा गए? स्वर्गवासी हो गए।
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