गुरुवार, 7 मई 2009

राहु यंत्र

जब राहु को अपने अनुकूल बना लिया है तो क्यों घबराते है जीवन की विपरीत स्थितियों में, क्योंकि राहु प्रदान करता है हिम्मत, साहस, शौर्य वाहन सुख, शक्ति और राहु समाप्त करता है दुःख, चिंता, दुर्भाग्य और संकट, बस आप कीजिये विधिवत राहु मंत्र जप।

इसे किसी भी मंगलवार अथवा शनिवार की रात्रिसे शुरू किया जा सकता है। रात्रि में स्नान आदि करके शुद्ध वस्त्र पहन लें। पश्चिम की ओरमुख करके लाल आसन पर बैठें। सामने चौकी पर लाल आसन बिछा दें। आसन पर गुरु चित्र स्थापित कर, गुरु से साधना की पूर्णता के लिये आर्शीवाद प्राप्त कर लें। अब साधक अगरबत्ती और तेल का दीपक जला लें, दीपक को अपनी बायीं ओर रखें। सामने चौकी पर बीछे हुए वस्त्र पर साबुत काली उड़द से राहु ग्रह का चिन्ह उ (अंग्रेजी वर्णमाला के यू अक्षर के समान) बनाकर। उस पर 'महाकाल राहु यंत्र' स्थापित करें। इसके पश्चात साधक दाहिने हाथ में पवित्र जल लेकर विनियोग करें -

विनियोग
ॐ अस्य श्री राहु मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः पक्तिं छन्दः राहु देवता, रां बीजं, भ्रां शक्तिः श्री राहु प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः

विनियोग के पश्चात राहु देवता का ध्यान करें।

ध्यान
वन्दे राहुं धूम्र वर्णं अर्धकायं कृतांजलि, विक्रुतास्यम
रक्त नेत्रं धूम्रालंकार मन्वहम ।

इसके बाद यंत्र का कुंकुम अक्षत धुप, दीप और पुष्प से पंचोपचार पुजन करें, फिर साधक 'शत्रुमर्दिनी माला' से ५ माला जप राहु मंत्र का करे -

ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः ॥
यह साधना सात दिन तक संपन्न करनी है। सात दिन के बाद 'शत्रु मर्दिनी माला' को सुरक्षित स्थान पर रख दें तथा किसी विशेष कार्य पर जाने से पहले उसे धारण कर लें। साधना की शेष सामग्री किसी निर्जन स्थान पर रात्रि में डाल दें।
- दिसम्बर २००७, मंत्र-तंत्र-यंत्र विज्ञान

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